हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा
करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, सूचना, हिंदी तकनीक,   चर्चा तथा
काव्य आदी के लिये एकमंच तैयार है।
मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती। भगवान भारतवर्ष में गूँजे हमारी
भारती। - मैथिलीशरण गुप्त।
जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह
उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न देश को एक सूत्र में बाँधे रखने के लिए एक
भाषा की आवश्यकता है। - सेठ गोविंददास।
विदेशी भाषा का किसी स्वतंत्र राष्ट्र के राजकाज और शिक्षा की भाषा होना
सांस्कृतिक दासता है। - वाल्टर चेनिंग।
किसी राष्ट्र की राजभाषा वही भाषा हो सकती है जिसे उसके अधिकाधिक निवासी
समझ सके। - (आचार्य) चतुरसेन शास्त्री।
हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है। - वी. कृष्णस्वामी अय्यर।
राष्ट्रीय एकता की कड़ी हिंदी ही जोड़ सकती है। - बालकृष्ण शर्मा नवीन।
हिंदी का काम देश का काम है, समूचे राष्ट्रनिर्माण का प्रश्न है। -
बाबूराम सक्सेना।
भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है। - टी. माधवराव।
हिंदी के प्रचार व प्रसार के लिये, प्रत्येक हिंदी प्रेमी के लिये एकमंच
का उदय हुआ  है।
भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।
समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या
हिंदुस्तानी है। -सर जार्ज ग्रियर्सन।
मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक
ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।
इस प्रकार  हिंदी हम से दूर हो गयी। इस देव भाषा के निकट आने के लिये आप
किसी भी ईमेल द्वारा
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भाषियों के एकमंच से। क्योंकि
जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति
होने लगी। - (राजा)राधिकारमण प्रसाद सिंह।
  एकमंच अपनी भाषा को सन्मान दिलाने का ही  एक प्रयास है।
समाज और राष्ट्र की भावनाओं को परिमार्जित करने वाला साहित्य ही सच्चा
साहित्य है। - जनार्दनप्रसाद झा द्विज।
हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी  भाषा से किसी अंश से कम नहीं
है। - (रायबहादुर) ऐसे साहित्य को जन जन तक पहुंचाने के लिये एकमंच हमेशा
प्रयासरत रहेगा। हिंदी और नागरी का प्रचार तथा विकास कोई भी रोक नहीं
सकता। - गोविन्दवल्लभ पंत।
 समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी
ही हो सकती है। - (जस्टिस)कृष्णस्वामी अय्यर।
देवनागरी ध्वनिशास्त्र की दृष्टि से अत्यंत वैज्ञानिक लिपि है। - रविशंकर शुक्ल।
हमारी नागरी दुनिया की सबसे अधिक वैज्ञानिक लिपि है। - राहुल
सांकृत्यायन। इस लिये इस मंच पर केवल लिपि का ही प्रयोग किया जायेगा।
देवनागरी अक्षरों का कलात्मक सौंदर्य नष्ट करना कहाँ की बुद्धिमानी है? -
शिवपूजन सहाय।
नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से
प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहँुचा दी है; उसे
उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा। - शिवपूजन
सहाय।
हिंदी के ऊपर आघात पहुँचाना हमारे प्राणधर्म पर आघात पहुँचाना है। -
जगन्नाथप्रसाद मिश्र।
साहित्य के हर पथ पर हमारा कारवाँ तेजी से बढ़ता जा रहा है। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
हिमालय से सतपुड़ा और अंबाला से पूर्णिया तक फैला हुआ प्रदेश हिंदी का
प्रकृत प्रांत है। - राहुल सांकृत्यायन।
हिंदी जिस दिन राजभाषा स्वीकृत की गई उसी दिन से सारा राजकाज हिंदी में
चल सकता था। - सेठ गोविंददास।
जब एक बार यह निश्चय कर लिया गया कि सन् १९६५ से सब काम हिंदी में होगा,
तब उसे अवश्य कार्यान्वित करना चाहिए। - सेठ गोविंददास।
हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी
शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
कविता कामिनि भाल में हिंदी बिंदी रूप, प्रकट अग्रवन में भई ब्रज के निकट
अनूप। - राधाचरण गोस्वामी।
राष्ट्रभाषा हिंदी हो जाने पर भी हमारे व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन पर
विदेशी भाषा का प्रभुत्व अत्यंत गर्हित बात है। - कमलापति त्रिपाठी।
भारतवर्ष के लिए हिंदी भाषा ही सर्वसाधरण की भाषा होने के उपयुक्त है। -
शारदाचरण मित्र।
हिंदी भाषा और साहित्य ने तो जन्म से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा
है। - धीरेन्द्र वर्मा।
जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम
किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।
हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत
कर्तव्य है। - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।
परमात्मा से प्रार्थना है कि हिंदी का मार्ग निष्कंटक करें। - हरगोविंद सिंह।
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। - मैथिलीशरण
गुप्त।हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और उसका दृश्यरूप या उसकी लिपि
सर्वगुणकारी नागरी ही है। - गोपाललाल खत्री।
देशभाषा की उन्नति से ही देशोन्नति होती है। - सुधाकर द्विवेदी।
हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक
भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। - मैथिलीशरण गुप्त।
अब हिंदी ही माँ भारती हो गई है- वह सबकी आराध्य है, सबकी संपत्ति है। -
रविशंकर शुक्ल।
भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
भाषा राष्ट्रीय शरीर की आत्मा है। - स्वामी भवानीदयाल संन्यासी।
हिंदी के राष्ट्रभाषा होने से जहाँ हमें हर्षोल्लास है, वहीं हमारा
उत्तरदायित्व भी बहुत बढ़ गया है।- मथुरा प्रसाद दीक्षित।
हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय
एवं गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है। - गोविंदबल्लभ पंत।
उसी दिन मेरा जीवन सफल होगा जिस दिन मैं सारे भारतवासियों के साथ शुद्ध
हिंदी में वार्तालाप करूँगा। - शारदाचरण मित्र।
जो हिंदी के विषय में आपने ये कथन पढें हैं इन्हे कहने वाले कोई साधारण
मनुष्य नहीं है।इनका कहा हुआ प्रत्येक शब्द सत्य है।
आप जान गये हैं कि हिंदी क्या है? हिंदी साहित्य को जानना व पढ़ना कितना
आवश्यक है। इन कथनों को पढ़कर आप एकमंच की आवश्यक्ता  स्वयम् भी अनुभव
करेंगे
इस मंच को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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 तथा अन्य सदस्यों को आमंत्रित करें।



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हमारे अपने एकमंच पर आप का स्वागत है। सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे
इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की
ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी
को समर्पित ये संयुक्त मंच है।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
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को भी एक मंच की सदस्यता लेने का आमंत्रण भेजें।
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