because they knew selective breeding, blend of geens and cross-breeding.

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Sent: Wednesday, February 03, 2016 11:51 AM
Subject: [Bulk] Re: [AI] Dainak Jagran: Why Dhritarashtra was born blind?


Yeah Hindu mythology is great as it connects Gods with animals.
marrying a male Goat, being with a horse to get a child, ridiculous
cheers.
On 2/3/16, avinash shahi <shahi88avin...@gmail.com> wrote:
Interesting to know that Prior to Dritirashtra Gandhari marriage,
Gandhari was married to a male goat! Indian mythology is the best,I'd
say :(
And the king Dhritirashtra was born blind cause he ordered for the
stoning of a sea-bird is farce.
http://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-why-dhritarashtra-was-born-blind-13528141.html

स वजह से धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे महाभारत में धृतराष्ट्र अंधे थे,
लेकिन उन्हें यह अंधापन पिछले जन्म में मिले एक श्राप के कारण मिला था।
धृतराष्ट्र ने ही गांधारी के परिवार को मरवाया था। लेकिन क्यों मिला था
उन्हें अंधें होने का श्राप और क्यों मरवाया था उन्होंने अपनी पत्नी
गांधारी के परिवार को? आइये जानते है धृतराष्ट्र से जुडी कुछ ऐसी ही खास
बातें-


भीम ने धृतराष्ट्र के प्रिय पुत्र दुर्योधन और दु:शासन को बड़ी निर्दयता
से मार डाला था, इस कारण धृतराष्ट्र भीम को भी मार डालना चाहते थे। जब
युद्ध समाप्त हो गया तो श्रीकृष्ण के साथ युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल
और सहदेव महाराज धृतराष्ट्र से मिलने पहुंचे। युधिष्ठिर ने धृतराष्ट्र को
प्रणाम किया और सभी पांडवों ने अपने-अपने नाम लिए, प्रणाम किया।
श्रीकृष्ण महाराज के मन की बात पहले से ही समझ गए थे कि वे भीम का नाश
करना चाहते हैं। धृतराष्ट्र ने भीम को गले लगाने की इच्छा जताई तो
श्रीकृष्ण ने तुरंत ही भीम के स्थान पर भीम की लोहे की मूर्ति आगे बढ़ा
दी। धृतराष्ट्र बहुत शक्तिशाली थे, उन्होंने क्रोध में आकर लोहे से बनी
भीम की मूर्ति को दोनों हाथों से दबोच लिया और मूर्ति को तोड़ डाला।

मूर्ति तोड़ने की वजह से उनके मुंह से भी खून निकलने लगा और वे जमीन पर
गिर गए। कुछ ही देर में उनका क्रोध शांत हुआ तो उन्हें लगा की भीम मर गया
है तो वे रोने लगे। तब श्रीकृष्ण ने महाराज से कहा कि भीम जीवित है, आपने
जिसे तोड़ा है, वह तो भीम के आकार की मूर्ति थी। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने
भीम के प्राण बचा लिए।

धृतराष्ट्र थे जन्म से अंधे

महाराज शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र हुए विचित्रवीर्य और चित्रांगद।
चित्रांगद कम आयु में ही युद्ध में मारे गए। इसके बाद भीष्म ने
विचित्रवीर्य का विवाह काशी की राजकुमारी अंबिका और अंबालिका से करवाया।
विवाह के कुछ समय बाद ही विचित्रवीर्य की भी बीमारी के कारण मृत्यु हो
गई। अंबिका और अंबालिका संतानहीन ही थीं तो सत्यवती के सामने यह संकट
उत्पन्न हो गया कि कौरव वंश आगे कैसे बढ़ेगा।

वंश को आगे बढ़ाने के लिए सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास से उपाय पूछा। तब
वेदव्यास से अपनी दिव्य शक्तियों से अंबिका और अंबालिका से संतानें
उत्पन्न की थीं। अंबिका ने महर्षि के भय के कारण आंखें बद कर ली थी तो
इसकी अंधी संतान के रूप में धृतराष्ट्र हुए। दूसरी राजकुमारी अंबालिका भी
महर्षि से डर गई थी और उसका शरीर पीला पड़ गया था तो इसकी संतान पाण्डु
हुई। पाण्डु जन्म से ही कमजोर थे। दोनों राजकुमारियों के बाद एक दासी पर
भी महर्षि वेदव्यास ने शक्तिपात किया था। उस दासी से संतान के रूप में
महात्मा विदुर उत्पन्न हुए।

एक श्राप के कारण धृतराष्ट्र जन्मे थे अंधे :

धृतराष्ट्र अपने पिछले जन्म मैं एक बहुत दुष्ट राजा था। एक दिन उसने देखा
की नदी मैं एक हंस अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा हे। उसने
आदेश दिया की उस हंस की आँख फोड़ दी जायैं और उसके बच्चों को मार दिया
जाये। इसी वजह से अगले जन्म मैं वह अंधा पैदा हुआ और उसके पुत्र भी उसी
तरह मृत्यु को प्राप्त हुये जैसे उस हंस के।

अंधे होने के कारण धृतराष्ट्र से पहले पाण्डु बने थे राजा

धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के पालन-पोषण का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों
पुत्र बड़े हुए तो उन्हें विद्या अर्जित करने भेजा गया। धृतराष्ट्र बल
विद्या में श्रेष्ठ हुए, पाण्डु धनुर्विद्या में और विदुर धर्म और नीति
में पारंगत हो गए। तीनों पुत्र युवा हुए तो बड़े पुत्र धृतराष्ट्र को
नहीं, बल्कि पाण्डु को राजा बनाया गया, क्योंकि धृतराष्ट्र अंधे थे और
विदुर दासी पुत्र थे। पाण्डु की मृत्यु के बाद धृतराष्ट्र को राजा बनाया
गया। धृतराष्ट्र नहीं चाहते थे कि उनके बाद युधिष्ठिर राजा बने, बल्कि वे
चाहते थे कि उनका पुत्र दुर्योधन राजा बने। इसी कारण वे लगातार पाण्डव
पुत्रों की उपेक्षा करते रहे।

गांधार की राजकुमारी से विवाह

भीष्म ने धृतराष्ट्र का विवाह गांधार की राजकुमारी गांधारी से कराया था।
विवाह से पूर्व गांधारी को ये बात मालूम नहीं थी कि धृतराष्ट्र अंधे हैं।
जब गांधारी को ये बात मालूम हुई तो उसने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली।
अब पति और पत्नी दोनों अंधे के समान हो गए थे। धृतराष्ट्र और गांधारी के
सौ पुत्र और एक पुत्री थी। दुर्योधन सबसे बड़ा और सबसे प्रिय पुत्र था।
दुर्योधन के प्रति धृतराष्ट्र को अत्यधिक मोह था। इसी मोह के कारण
दुर्योधन के गलत कार्यों पर भी वे मौन रहे। दुर्योधन की गलत इच्छाओं को
पूरा करने के लिए भी हमेशा तैयार रहते थे। यही मोह पूरे वंश के नाश का
कारण बना।

धृतराष्ट्र ने मरवाया था गांधारी के परिवार को

ध्रतराष्ट्र का विवाह गांधार देश की गांधारी के साथ हुआ था। गंधारी की
कुंडली मैं दोष होने की वजह से एक साधु के कहे अनुसार उसका विवाह पहले एक
बकरे के साथ किया गया था। बाद मैं उस बकरे की बलि दे दी गयी थी। यह बात
गांधारी के विवाह के समय छुपाई गयी थी. जब ध्रतराष्ट्र को इस बात का पता
चला तो उसने गांधार नरेश सुबाला और उसके 100 पुत्रों को कारावास मैं डाल
दिया और काफी यातनाएं दी।

एक एक करके सुबाला के सभी पुत्र मरने लगे। उन्हैं खाने के लिये सिर्फ
मुट्ठी भर चावल दिये जाते थे। सुबाला ने अपने सबसे छोटे बेटे शकुनि को
प्रतिशोध के लिये तैयार किया। सब लोग अपने हिस्से के चावल शकुनि को देते
थे ताकि वह जीवित रह कर कौरवों का नाश कर सके। मृत्यु से पहले सुबाला ने
ध्रतराष्ट्र से शकुनि को छोड़ने की बिनती की जो ध्रतराष्ट्र ने मान ली।
सुबाला ने शकुनि को अपनी रीढ़ की हड्डी क पासे बनाने के लिये कहा, वही
पासे कौरव वंश के नाश का कारण बने।

शकुनि ने हस्तिनापुर मैं सबका विश्वास जीता और 100 कौरवों का अभिवावक
बना। उसने ना केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भडकाया बल्कि महाभारत
के युद्ध का आधार भी बनाया।

धृतराष्ट्र चले गए वन में

युद्ध के बाद धृतराष्ट्र और गांधारी, पांडवों के साथ एक ही महल रहने लगे
थे। भीम अक्सर धृतराष्ट्र से ऐसी बातें करते थे जो कि उन्हें पसंद नहीं
थीं। भीम के ऐसे व्यवहार से धृतराष्ट्र बहुत दुखी रहने लगे थे। वे
धीरे-धीरे दो दिन या चार दिन में एक बार भोजन करने लगे। इस प्रकार पंद्रह
वर्ष निकल गए। फिर एक दिन धृतराष्ट्र के मन में वैराग्य का भाव जाग गया
और वे गांधारी के साथ वन में चले गए।

--
Avinash Shahi
Doctoral student at Centre for Law and Governance JNU

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