Re: AYUSH | जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!

2018-01-17 Thread AYUSH main
[राजपिपला मी हुवे आदिवासी संस्कृती महासंमेलन मे युवा सत्र मी मुझे बात रखने
को कहा गया, पर स्टेज पे जातेही मुझे लगा मै जो बोलना चाह रहा था वह ठिकसे
बोलना नही हो पाया इसीलिये आपके जाणकारी के लिये यहा लिखके शेअर कर रहा हू]
.

सभी को आप कि जय !
माफ़ कीजियेगा मैं बहुत अच्छा वक्ता नहीं हूँ, पर मेरी बात संक्षिप्त रखनेकी
कोशिश करूँगा
मेरा नाम सचिन सातवी, मूलतः डहाणू, जिला पालघर महाराष्ट्र से।

सरकारी दप्तर के अनुसार १५-३५ साल उम्र युवा माना जाता है। और अभी हमारे देश
मे ४०% युवा है। क्रियाशील, गतिशील, उत्साह और ऊर्जामान यह युवावोके
महत्वपूर्ण पेहलू है। किसी भी समाज या देश के विकास भविष्य के लिये युवा वर्ग
का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह कहते हुवे गर्व महसूस हो रहा है कि इस
आदिवासी वैचारिक आंदोलन मे ७०-८० साल उम्र के आदर्श युवा हमे मार्गदर्शक है।

आज आदिवासी समाज एक नाजूक मोड पे है। अलग अलग छोटी बडी समस्याओंका सामना कर
रहा है। एक और किताबी शिक्षा कि गुणवत्ता, रोजगार, कौशल्य, अर्थव्यवस्था तो
दुसरी और संविधानिक अधिकारोका हनन, कागदी योजना, जल जंगल जमीन का अधिकार छिना
जा रहा है। हमारी सांस्कृतिक पहचान, समाज/पर्यावरण/जीवसृष्टि सवेंदना कम होते
हुवे दिख रही है।

आदिवासी समाज को फिरसे स्वावलंबी/सशक्त/स्वयंपूर्ण बनाने और समाज कि सभी
समस्याओंका कायमस्वरूपी समाधान हेतू युवा वर्ग पे बहुत बडी जिम्मेदारी है। आज
के युवा अपनी पारंपरिक व्यवस्था जाणते है और नयी तकनिकी साधनोसे परिचित है।
हमारी स्वावलंबी सामाजिक व्यवस्था, मूल्य, पारंपरिक ज्ञान, विज्ञान, कला,
संस्कार, संस्कृती, पर्यावरण, निसर्ग, जीवश्रुष्टी आदी का अध्ययन एवं आदर करके
नये जमाने के साथ नये गती के साथ चलने वाली समाज की एक अपनी यंत्रणा बनाने
हेतु सभीने अपने अनुभव कौशल्य और रूचि अनुसार सहभागी होने की आदत डाल लेनी
चाहिए। हर एक क्षेत्र में ऐसे प्रयासोंको मजबूती करने पूरक उपक्रम और उसके लिए
समय/कष्ट/सहकार्य देने वाले युवावोंके समूह तैयार करने की जरुरत है, हम सभीको
इन जरूरतोंको ध्यान रखते हुवे वैयक्तिक एवं एकत्रित कार्य को बढ़ावा चाहिए।

आज पर्यावरण, जीवसृष्टि, मानवी मूल्य, अर्थव्यवस्था इत्यादि अच्छी तरह जिने के
लिए दुनिया आदिवासी जीवन शैली को आदर्श मानती है। तो आदिवासी समाज को सभी
समुदायों का बड़ा भाई होनेके नाते एक बड़ा दायित्व निभाना है। इसी लिए आदिवासी
समाज को खुदको सक्षम बनाना जरुरी है। सिर्फ आदिवासी समाज नहीं, सिर्फ सरहदोमें
बटा एक क्षेत्र नहीं बल्कि दुनिया के सभी जीवसृष्टि एवं विश्व के हित हेतु
हमारी समाज मूल्य एवं सभ्यताओंको खड़ा उतरना है। और उसके लिए शक्तिशाली,
गुणसंपन्न, कार्यशील, कृतिशील, युवावोंको संस्कार देनेवाली स्वयंपूर्ण प्रणाली
मजबूत करने की जरूरत है।

मेरा क्षेत्र देस के आर्थिक राजधानी से सटा हुवा है, महाराष्ट्र में सबसे
ज्यादा आदिवासी आबादी वाला यह अनुसूचित क्षेत्र अलग समस्याओं का सामना कर रहा
है। शिक्षा दर्जा, आश्रम शाला एवं आवास की समस्याएं, रोजगार और व्यवसायों में
बाहरी कब्ज़ा, बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स/डैम/महामार्ग के लिए विस्थापन, शहरोके लिए
पानी चोरी, प्रदूषित होती नदिया, जहरीली शराब की आदते, कुपोषण, बाहरी लोगो की
संख्या बढ़ने से बढ़ते गुनाह, प्रसाशन में समाज के प्रति असवेंदना, जल जंगल जमीन
से छूटता अधिकार और इसपेसे ध्यान हटाने दर्ज़नोसे अनेक पंथ, धर्म, राजनीतिक दल
की लड़ाईया जिसके कारन आपस में लड़ते आदिवासी। यह चित्र बदलने की जरुरत है और इस
तरफ अनेक प्रयास हो रहे है।

उदहारण की तौर पे हम पिछले ११ सलों से आदिवासी युवावोंमे जागृती करने हेतु हम
आयुश (आदिवासी युवा शक्ति) माध्यमसे प्रयास है. आदिवासी पारम्परिक हस्तकला
वारली चित्रकला का भौगोलिक उपदर्शनी में बौद्धिक सम्पदा अंतर्गत दर्ज कराया
है. और अभी पारम्परिक ज्ञान जतन के साथ आर्थिक स्वावलम्बन हेतु प्रयास चल रहे
है. सोशियल नेट्वर्किंग के माध्यमसे सामाजिक जागृतिका प्रयास जारी है. विश्वास
है की आप सभी के मार्गदर्शन से हम यह प्रयास और प्रभावी बनाएंगे. जोहार !

On Jan 17, 2018 11:46 PM, "Adivasi Ekta Parishad" <
adivasiektaparishad@gmail.com> wrote:

> जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!
>
>
>
>
>
> जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!
>
> आपकी जय ! आदिवासी एकता परिषद का 25 वा आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन
> सफलतापूर्वक संपन्न हुआ ।
>
> महासम्मेलन का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है:--
>
>
>
> 1)⏩ आदिवासी सांस्कृतिक एकता यात्रा :-- देश के अलग अलग राज्य से यह यात्रा
> निकलकर महासम्मेलन में आकर समाहित हुई । मध्य प्रदेश राज्य के दो अलग-अलग
> स्थानों से दिनांक 5 जनवरी 2018 को क्रांतिकारी शहीद जननायक टंट्या भील की
> जन्मस्थली ग्राम बड़ौदा अहिर, तहसील पंधाना, जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)एवं 9
> जनवरी 2018 रतलाम से प्रारंभ हुई । दोनों यात्राओं ने मिलकर लगभग दौ सौ गांव
> के लोगों से संवाद स्थापित करते हुए प्रकृति व आदिवासी संस्कृति बचाने का
> संदेश देने के साथ ही सभी आदिवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का आह्वान
> किया गया । यह यात्रा मध्य प्रदेश के 8 तथा गुजरात के 3 जिलों से होकर
> गुजरी। इसी प्रकार दिनांक 12 व 13 जनवरी 2018 को देश के कई इलाकों से
> "आदिवासी सांस्कृतिक एकता यात्रा" चार पहिया वाहन व दो पहिया वाहन से निकाली
> गई । जिसमें प्रमुख रुप से मध्यप्रदेश के भंवरगढ़ (सेंधवा),खरगोन, रतलाम,
> झाबुआ, अलीराजपुर,बैतुल, बुरहानपुर,खंडवा आदि ,महाराष्ट्र के जलगांव, धुलिया,
> नाशिक, साक्री, पालघर, अक्कलकुवा, नंदुरबार आदि , दादरा नगर हवेली के
> सिलवासा एवं राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,उदयपुर, साबरकांठा आदि तथा
> गुजरात के छोटाउदयपुर, तापी, नर्मदा, धर्मपुर,बरूच आदि स्थानों से हजारों की
> संख्या में टू व्हीलर एवं फोर व्हीलर वाहन लेकर कार्यकर्ता महासम्मेलन में
> शामिल होने हेतु निकले । इससे आदिवासी समाज एवं गैर आदिवासी समाज में एक 

Re: AYUSH | जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!

2018-01-17 Thread SACHCHIDANAND CHOTABABU SOREN
कृपाया फ़ोटो भी भेजे

On 17-Jan-2018 11:46 PM, "Adivasi Ekta Parishad" <
adivasiektaparishad@gmail.com> wrote:

> जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!
>
>
>
>
>
> जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!
>
> आपकी जय ! आदिवासी एकता परिषद का 25 वा आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन
> सफलतापूर्वक संपन्न हुआ ।
>
> महासम्मेलन का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है:--
>
>
>
> 1)⏩ आदिवासी सांस्कृतिक एकता यात्रा :-- देश के अलग अलग राज्य से यह यात्रा
> निकलकर महासम्मेलन में आकर समाहित हुई । मध्य प्रदेश राज्य के दो अलग-अलग
> स्थानों से दिनांक 5 जनवरी 2018 को क्रांतिकारी शहीद जननायक टंट्या भील की
> जन्मस्थली ग्राम बड़ौदा अहिर, तहसील पंधाना, जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)एवं 9
> जनवरी 2018 रतलाम से प्रारंभ हुई । दोनों यात्राओं ने मिलकर लगभग दौ सौ गांव
> के लोगों से संवाद स्थापित करते हुए प्रकृति व आदिवासी संस्कृति बचाने का
> संदेश देने के साथ ही सभी आदिवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का आह्वान
> किया गया । यह यात्रा मध्य प्रदेश के 8 तथा गुजरात के 3 जिलों से होकर
> गुजरी। इसी प्रकार दिनांक 12 व 13 जनवरी 2018 को देश के कई इलाकों से
> "आदिवासी सांस्कृतिक एकता यात्रा" चार पहिया वाहन व दो पहिया वाहन से निकाली
> गई । जिसमें प्रमुख रुप से मध्यप्रदेश के भंवरगढ़ (सेंधवा),खरगोन, रतलाम,
> झाबुआ, अलीराजपुर,बैतुल, बुरहानपुर,खंडवा आदि ,महाराष्ट्र के जलगांव, धुलिया,
> नाशिक, साक्री, पालघर, अक्कलकुवा, नंदुरबार आदि , दादरा नगर हवेली के
> सिलवासा एवं राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,उदयपुर, साबरकांठा आदि तथा
> गुजरात के छोटाउदयपुर, तापी, नर्मदा, धर्मपुर,बरूच आदि स्थानों से हजारों की
> संख्या में टू व्हीलर एवं फोर व्हीलर वाहन लेकर कार्यकर्ता महासम्मेलन में
> शामिल होने हेतु निकले । इससे आदिवासी समाज एवं गैर आदिवासी समाज में एक संदेश
> गया कि आदिवासी समाज इकट्ठा हो रहा है ।
>
>
>
> 2)⏩ आदिवासी प्रदर्शनी :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 प्रातः 10:00 बजे आदिवासी
> प्रदर्शनी का 15 राज्यों के प्रतिनिधि एवं इंडोनेशिया के प्रतिनिधि की
> उपस्थिति में उद्घाटन किया गया । इस प्रदर्शनी में आदिवासी समाज की रीति रिवाज,
> परंपरा, संस्कृति, कृषि, पूजा पाठ तथा जीवन में उपयोग आने वाली उन सारी
> वस्तुओं को प्रदर्शनी में लगाया गया ।महासम्मेलन मे आने वाला समाज प्रदर्शनी
> को देखकर आश्चर्यचकित हो रहा था और आदिवासी समाज के बारे में सारी जानकारियां
> मिली ।
>
>
>
> 3) महिला परिसंवाद :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को प्रातः 10:30 बजे से महिलाओं
> परिसंवाद की शुरुआत हुई । इस परिसंवाद में प्रदेश के 10 राज्यों की महिला
> प्रतिनिधियों ने भाग लिया । इस सभा को एलीना होरो (झारखंड), कीर्ति वर्धा
> (महाराष्ट्र), सुनीता बहन (दादरा नगर हवेली), दमयंती बहन चौधरी (गुजरात), वासवी
> कीड़ों (झारखंड) ममता कुजूर (छत्तीसगढ़ ),बवानी कुलवंदा (आंध्र प्रदेश)
> यंगझूम डोलकाट (जम्मू एंड कश्मीर), अन्नु कुजूर (दिल्ली ),टीना दोषी (गांधी
> लेबर इंस्टिट्यूट अहमदाबाद), समता संस्था के प्रमुख रवि भाई (जिन्होंने
> आदिवासियों के लिए सर्वोच्च न्यायालय से 1997 में एक ऐतिहासिक न्याय "समता
> जजमेंट" को आदिवासियों के हित में करवाने में अहम योगदान दिया था ),हेमलता
> कटारा, डॉ राधा डामोर, सारा (इंडोनेशिया) आदि महिला प्रतिनिधियों महिला
> सशक्तिकरण, महिलाओ को संगठित करना, स्वावलंबन, आदिवासियों के वैचारिक आंदोलन
> मे महिलाओं का योगदान आदि विषयों पर अपने-अपने विचार रखे। इस अवसर पर उर्मिला
> खर्ते व अनीता सोलंकी द्वारा प्रेरणादाई गीत भी प्रस्तुत किया गया। महिला
> परिसंवाद की अध्यक्षता आदिवासी एकता परिषद के अध्यक्ष मंडल के सदस्य आप साधना
> बहन मीणा द्वारा की गई। संचालन सोनल बहन राठवा तथा सुमित्रा बहन वसावा व आभार
> मीनाबेन वसावा द्वारा किया गया ।
>
>
>
> 4)⏩आदिवासी साहित्यकारों का परिसंवाद :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को दोपहर 3:00
> बजे से 6:30 बजे तक देश के प्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकारों की उपस्थिति में
> साहित्य सम्मेलन संपन्न हुआ । इस परिसंवाद में देश के जाने-माने साहित्यकारों
> ने भाग लिया । जिसमें प्रमुख रुप से डॉक्टर आनंद भाई वसावा (गुजरात), डॉक्टर
> लालू भाई वसावा (गुजरात) ,सुनील गायकवाड (महाराष्ट्र ), एपो उरांव (आंध्र
> प्रदेश ), प्रोफेसर शंकर कहार (उड़ीसा), प्रोफेसर विपीन जोजो ,मुंबई
> (महाराष्ट्र), वासवी किड़ो (झारखंड),प्रोफेसर रेखा वास्कले (मध्य प्रदेश ),अर्जुन
> राठवा (गुजरात), आदि साहित्यकारों ने आदिवासी साहित्य की यात्रा, दशा एवं
> दिशा, आदिवासियों का मौखिक साहित्य, आदिवासी साहित्य का इतिहास, आदिवासी
> समाज एवं पत्र पत्रिकाएं आदि विषयों पर अपने अपने विचार प्रकट किये एवं देश के
> सभी आदिवासी साहित्यकारों को एक मंच पर लाने की बात कही। इस सम्मेलन की
> अध्यक्षता आदिवासी एकता परिषद के संस्थापक सदस्य वाहरू सोनवणे द्वारा की गई
> संचालन कनु भाई राठवा द्वारा किया गया ।
>
>
>
> 5)⏩ बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम:-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को शाम 9:00
> बजे से स्कूल, कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा 20 के लगभग
> मनमोहक आदिवासी संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई।
> जिसमें आसाम का बिहू नृत्य, जम्मू कश्मीर का आदिवासी नृत्य, नेपाल का
> आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति भी विशेष रुप से आकर्षण का केंद्र रहा । इस
> कार्यक्रम का संचालन सुमित्रा वसावा, मीनाबेन वसावा तथा डॉक्टर राधा डामोर
> द्वारा किया गया ।
>
>
>
> 6)⏩आदिवासी सांस्कृतिक एकता महारैली:-- दिनांक 14 जनवरी 2018 को प्रातः 11:00
> बजे से आदिवासी सांस्कृतिक एकता महारैली की शुरुआत नांदु राजा के स्टेच्यु पर
> फूल माला पहनाकर इस महारैली की शुरुआत की गई। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ
> में आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधित्व करने वाले नेपाल के फूलमन चौधरी, आदिवासी
> 

AYUSH | जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!

2018-01-17 Thread Adivasi Ekta Parishad
जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!





जानने व समझने के लिए जरूर पढ़िए !!

आपकी जय ! आदिवासी एकता परिषद का 25 वा आदिवासी सांस्कृतिक एकता महासम्मेलन
सफलतापूर्वक संपन्न हुआ ।

महासम्मेलन का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है:--



1)⏩ आदिवासी सांस्कृतिक एकता यात्रा :-- देश के अलग अलग राज्य से यह यात्रा
निकलकर महासम्मेलन में आकर समाहित हुई । मध्य प्रदेश राज्य के दो अलग-अलग
स्थानों से दिनांक 5 जनवरी 2018 को क्रांतिकारी शहीद जननायक टंट्या भील की
जन्मस्थली ग्राम बड़ौदा अहिर, तहसील पंधाना, जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)एवं 9
जनवरी 2018 रतलाम से प्रारंभ हुई । दोनों यात्राओं ने मिलकर लगभग दौ सौ गांव
के लोगों से संवाद स्थापित करते हुए प्रकृति व आदिवासी संस्कृति बचाने का
संदेश देने के साथ ही सभी आदिवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का आह्वान
किया गया । यह यात्रा मध्य प्रदेश के 8 तथा गुजरात के 3 जिलों से होकर गुजरी।
इसी प्रकार दिनांक 12 व 13 जनवरी 2018 को देश के कई इलाकों से "आदिवासी
सांस्कृतिक एकता यात्रा" चार पहिया वाहन व दो पहिया वाहन से निकाली गई ।
जिसमें प्रमुख रुप से मध्यप्रदेश के भंवरगढ़ (सेंधवा),खरगोन, रतलाम, झाबुआ,
अलीराजपुर,बैतुल, बुरहानपुर,खंडवा आदि ,महाराष्ट्र के जलगांव, धुलिया, नाशिक,
साक्री, पालघर, अक्कलकुवा, नंदुरबार आदि , दादरा नगर हवेली के सिलवासा एवं
राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,उदयपुर, साबरकांठा आदि तथा गुजरात के
छोटाउदयपुर, तापी, नर्मदा, धर्मपुर,बरूच आदि स्थानों से हजारों की संख्या में
टू व्हीलर एवं फोर व्हीलर वाहन लेकर कार्यकर्ता महासम्मेलन में शामिल होने
हेतु निकले । इससे आदिवासी समाज एवं गैर आदिवासी समाज में एक संदेश गया कि
आदिवासी समाज इकट्ठा हो रहा है ।



2)⏩ आदिवासी प्रदर्शनी :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 प्रातः 10:00 बजे आदिवासी
प्रदर्शनी का 15 राज्यों के प्रतिनिधि एवं इंडोनेशिया के प्रतिनिधि की
उपस्थिति में उद्घाटन किया गया । इस प्रदर्शनी में आदिवासी समाज की रीति रिवाज,
परंपरा, संस्कृति, कृषि, पूजा पाठ तथा जीवन में उपयोग आने वाली उन सारी
वस्तुओं को प्रदर्शनी में लगाया गया ।महासम्मेलन मे आने वाला समाज प्रदर्शनी
को देखकर आश्चर्यचकित हो रहा था और आदिवासी समाज के बारे में सारी जानकारियां
मिली ।



3) महिला परिसंवाद :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को प्रातः 10:30 बजे से महिलाओं
परिसंवाद की शुरुआत हुई । इस परिसंवाद में प्रदेश के 10 राज्यों की महिला
प्रतिनिधियों ने भाग लिया । इस सभा को एलीना होरो (झारखंड), कीर्ति वर्धा
(महाराष्ट्र), सुनीता बहन (दादरा नगर हवेली), दमयंती बहन चौधरी (गुजरात), वासवी
कीड़ों (झारखंड) ममता कुजूर (छत्तीसगढ़ ),बवानी कुलवंदा (आंध्र प्रदेश) यंगझूम
डोलकाट (जम्मू एंड कश्मीर), अन्नु कुजूर (दिल्ली ),टीना दोषी (गांधी लेबर
इंस्टिट्यूट अहमदाबाद), समता संस्था के प्रमुख रवि भाई (जिन्होंने आदिवासियों
के लिए सर्वोच्च न्यायालय से 1997 में एक ऐतिहासिक न्याय "समता जजमेंट" को
आदिवासियों के हित में करवाने में अहम योगदान दिया था ),हेमलता कटारा, डॉ राधा
डामोर, सारा (इंडोनेशिया) आदि महिला प्रतिनिधियों महिला सशक्तिकरण, महिलाओ को
संगठित करना, स्वावलंबन, आदिवासियों के वैचारिक आंदोलन मे महिलाओं का योगदान
आदि विषयों पर अपने-अपने विचार रखे। इस अवसर पर उर्मिला खर्ते व अनीता सोलंकी
द्वारा प्रेरणादाई गीत भी प्रस्तुत किया गया। महिला परिसंवाद की अध्यक्षता
आदिवासी एकता परिषद के अध्यक्ष मंडल के सदस्य आप साधना बहन मीणा द्वारा की गई।
संचालन सोनल बहन राठवा तथा सुमित्रा बहन वसावा व आभार मीनाबेन वसावा द्वारा
किया गया ।



4)⏩आदिवासी साहित्यकारों का परिसंवाद :-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को दोपहर 3:00
बजे से 6:30 बजे तक देश के प्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकारों की उपस्थिति में
साहित्य सम्मेलन संपन्न हुआ । इस परिसंवाद में देश के जाने-माने साहित्यकारों
ने भाग लिया । जिसमें प्रमुख रुप से डॉक्टर आनंद भाई वसावा (गुजरात), डॉक्टर
लालू भाई वसावा (गुजरात) ,सुनील गायकवाड (महाराष्ट्र ), एपो उरांव (आंध्र
प्रदेश ), प्रोफेसर शंकर कहार (उड़ीसा), प्रोफेसर विपीन जोजो ,मुंबई
(महाराष्ट्र), वासवी किड़ो (झारखंड),प्रोफेसर रेखा वास्कले (मध्य प्रदेश ),अर्जुन
राठवा (गुजरात), आदि साहित्यकारों ने आदिवासी साहित्य की यात्रा, दशा एवं दिशा,
आदिवासियों का मौखिक साहित्य, आदिवासी साहित्य का इतिहास, आदिवासी समाज एवं
पत्र पत्रिकाएं आदि विषयों पर अपने अपने विचार प्रकट किये एवं देश के सभी
आदिवासी साहित्यकारों को एक मंच पर लाने की बात कही। इस सम्मेलन की अध्यक्षता
आदिवासी एकता परिषद के संस्थापक सदस्य वाहरू सोनवणे द्वारा की गई संचालन कनु
भाई राठवा द्वारा किया गया ।



5)⏩ बच्चों का सांस्कृतिक कार्यक्रम:-- दिनांक 13 जनवरी 2018 को शाम 9:00 बजे
से स्कूल, कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा 20 के लगभग मनमोहक
आदिवासी संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। जिसमें
आसाम का बिहू नृत्य, जम्मू कश्मीर का आदिवासी नृत्य, नेपाल का आदिवासी नृत्य
की प्रस्तुति भी विशेष रुप से आकर्षण का केंद्र रहा । इस कार्यक्रम का संचालन
सुमित्रा वसावा, मीनाबेन वसावा तथा डॉक्टर राधा डामोर द्वारा किया गया ।



6)⏩आदिवासी सांस्कृतिक एकता महारैली:-- दिनांक 14 जनवरी 2018 को प्रातः 11:00
बजे से आदिवासी सांस्कृतिक एकता महारैली की शुरुआत नांदु राजा के स्टेच्यु पर
फूल माला पहनाकर इस महारैली की शुरुआत की गई। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ
में आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधित्व करने वाले नेपाल के फूलमन चौधरी, आदिवासी
एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष मंडल के सभी सदस्य तथा भरत भाई वसावा, भारती
वसावा सहित 15 राज्यों एवं दो देशों के प्रतिनिधि उपस्थिति आदिवासियों की एकता
को इंगित कर रही थी । इस महारैली में देश के 15 राज्यों की लगभग 40 सांस्कृतिक
नृत्य दल एवं एक नेपाल का नृत्य दल नाचते व झूमते हुए